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Shri Kulpakji Tirth – Jain Tirth

अपने भारत देश मे एक एक जैन तीर्थ ऐसे है के रोज एक तीर्थ दर्शन का निश्चय करे तो भी पूरे साल में सब तीर्थ नही देख पायेंगे।
तीर्थ महिमा में आज हम बात करेंगे प्राचीन तीर्थ कुलपाकजी बारे में।
 
आंध्रप्रदेश जैन तीर्थों का ‘राजा’ श्री कुलपाकजी तीर्थ में श्री ‘माणिक्यस्वामी’ के नामसे प्रख्यात श्री आदेश्वर भगवान की आर्धपद्मासनस्थ श्यामवर्णी 105 से.मी. की प्रतिमा आलेर रेलवे स्टेशन से 6 कि.मी. दूर कुलपाक गांव के बहार विशाल परकोटे के बिच सुन्दर चैत्यमें विराजमान है l लाखों वर्षों प्राचीन प्रतिमा के बारेमें ख्याती है की श्री आदिनाथ प्रभु के पुत्र श्री भारत चक्रवतिजी ने अष्टापद पर्वत पर चौबीस भगवान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित करवाई, तब अपनी अंगूठी में जड़े नीलम से यह प्रतिमा बनवाई थी l
 
कहां जाता है की राजा रावन को दैविक आराधना से यह प्रतिमा प्राप्त हुई व रावन ने अपनी पटरानी मंदोदरी को दी व् भाव भक्ति से रानी प्रभु प्रतिमा पूजने लगीl लंका पतन के समय अधिष्ठायक देवों ने रानी को स्वप्नमें इस प्रतिमा को समुद्र में पधरा देने को कहां व् उसने ऐसा ही किया l जहाँ समुद्र देवों द्वारा यह प्रतिमा पूजी जाने लगीl ग्यारह लाख अस्सी हजार वर्ष बित जाने पर कन्नड़ देश के कल्याण नगर के राजा शंकर को देवी आराधना से यह प्रतिमा वि.सं.680 में मिली जिसे मंदिर निर्माण करवाकर प्रतिष्ठित किया l
 
प्रतिमा मरकतमणि की थी किन्तु चिरकाल तक समुद्र के खारे पानी के कारन से कठिनांग हो गईl समय समय पर जिर्नौद्धर होते रहेl ऐसी प्रतिमा के दर्शन अन्यत्र अति दुर्लभ है l प्रतिवर्ष चैत्र शु. 13 से पूर्णिमा तक मेला भरता हैl अधिष्ठायक देव चमत्कारिक है l कभी कभी रात में घुंगरू बजने की आवाज आती हैl यहाँ प्रभु प्रतिमाओं की कला अत्यंत निराले ढंग की है l यहाँ कुल 15 प्राचीन प्रतिमाएं हैl सबसे विशेष फिरोजे नगीने से बनी भगवान महावीर की प्रतिमा का तो जितना वर्णन करे उतना कम है l
प्रभु वीर की फिरोजे नाग की बनी हसमुख, प्राचीन, अद्वितीय प्रतिमा सारे विश्व की प्रतिमाओं में अपना अलग ही स्थान रखती हैl यहाँ का शिखर 89 फिट ऊंचाई व् अलग ही कलायुक्त है l
 
ठहरने हेतु विशाल सर्व सुविधायुक्त धर्मशाला व् विशाल भोजनशाला हैl दादावाडी का कार्य चालू है l विजयवाडा-हैदराबाद रेल्वे मार्ग पर आलेर रेल्वे स्टेशन से 6कि.मी. दूर हैl यहाँ से हैदराबाद 80कि.मी., विजयवाडा से 250 कि.मी., वरंगल से 76 कि.मी.,पुणे से वाया हैदराबाद 625 कि.मी.,राजमुंद्री से 425कि.मी., पेद्मिरल तीर्थ से 390 कि.मी. दूर स्थित है lआवागमन के सारे साधन उपलब्ध है l जीवनमें एक बार इस महान एवं प्राचीन तीर्थ की यात्रा अवश्य करे ।
Dharamshala and Bhojanshala is there.
Contact Details: 08685- 281696 / 645696 / 09948694621

Location

⇒ How To Reach(कैसे पहुंचे)

Morning: 5:30 AM – 11:30 AM, Evening: 5:30 PM – 8:30 PM

  • यहाँ से हैदराबाद 80कि.मी., विजयवाडा से 250 कि.मी., वरंगल से 76 कि.मी.,पुणे से वाया हैदराबाद 625 कि.मी.,राजमुंद्री से 425कि.मी., पेद्मिरल तीर्थ से 390 कि.मी. दूर स्थित है lआवागमन के सारे साधन उपलब्ध है l जीवनमें एक बार इस महान एवं प्राचीन तीर्थ की यात्रा अवश्य करे ।
  • ट्रेन: विजयवाडा-हैदराबाद रेल्वे मार्ग पर आलेर रेल्वे स्टेशन से 6कि.मी. दूर हैl
  • वायु मार्ग: हैदराबाद से 80 km
  • It is 80 km from Hyderabad, 250 km from Vijayawada, 76 km from Warangal, 625 km from Pune via Hyderabad, 425 km from Rajmundri, 390 km from Pedmiral Tirtha. All means of transport are available. You must visit this great and ancient pilgrimage at least once in your life.
  • Train: It is 6km from Aler railway station on the Vijayawada-Hyderabad railway route.
  • Air: Hyderabad Airport

Note: इस पोस्ट को लेकर किसी भी तरह की समस्या या सुझाओ हो तो आप Comment कर सकते या फिर हमें Swarn1508@gmail.com पर Email कर बता सकते है। ऊपर दी गई जानकारी अलग अलग जगह से ली गई है जो की गलत भी हो सकती है, अगर आपको सही जानकारी है तो हमे comment कर सकते है जिससे की सुधार किया जा सकता है। आप और भी Jain Mandir और Dharmshala हमे भेज सकते है जिससे की सभी जानकारी का लाभ ले सकें। 

Swarn Jain
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My name is Swarn Jain, A blog scientist by the mind and a passionate blogger by heart ❤️, who integrates my faith into my work. As a follower of Jainism, I see my work as an opportunity to serve others and spread the message of Jainism.

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